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http://dreamtime.com येथून साभार.
भक्त दीनदयाल रोड पर मिलते हैं । भक्त बारामती होस्टलमें बसते हैं । भक्तोंका डेरा मातोश्री के दरबारमें है । भक्तोंका मेला कृष्णकुंज के द्वार पे है । भक्त कभी 'कापिताल' लिए घूमते हैं । भक्त साइकिल पे बैठा हाथी देखते हैं । भक्त ’समोसे में आलू’ रखते हैं । भक्त अन्योंको ’तृण’वत मानते हैं । भक्तोंके लिए नेता ही परमभगवान हैं । उसकी चरणोंमे ही उनका उत्थान है। उसकी हर उक्ती अंतिम सत्य मानते हैं। उसकी हर कृती आशीर्वाद मानते हैं । भक्तोंका भगवान गिर पडे, तो उसे 'भूमाता-वंदन' कहते हैं। सहसा वो वायुविजन करे, तो मलय-गंध-युक्त मानते हैं । आए दिन भक्त मिलते हैं... ...भक्त अब ’२४ अकबर रोड’पर भी दिखने लगे हैं। - परमभक्त रमताराम
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‘वेचित चाललो...’ वर :   
चुंबन-चिकित्सा       पाखरा जा, त्यजुनिया...       दूरस्थ कुणी दे तुझ्या करी...       अंतरीच्या या सुरांनी       गेले... ते दिन गेले       दशांशचिन्हांकित कविता आणि प्रमेय-प्रत्यंतर       लेखकजिज्ञासायोग       आद्य मराठी-सारस्वतांचा निघंटु       छोटीशीच आहे फौज आपुली       आज धारानृत्य चाले...      
बुधवार, १५ मे, २०१९
॥ आए दिन भक्त मिलते हैं ॥
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